दिल्ली

बंद कमरों में चर्चा करने से नतीजे नहीं निकलेंगे – राजेन्द्र पाल गौतम


धोखे से देश की सत्ता पर गद्दार बैठ गये हैं – पूर्व सांसद राम बख़्श वर्मा


नई दिल्ली। देश आज सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है। देश को पटरी पर लाने की ज़िम्मेदारी हर नागरिक की है। बंद कमरे में चर्चा करने से कोई परिणाम नहीं मिलेगा। आवश्यक्ता है कि जनसंपर्क के माध्यम से आमजन को देश की खराब हो रही स्थिति के बारे में विस्तारपूर्वक बताया जाए। ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मशावरत (रजिस्टर्ड) की दिल्ली में हुई कांफ्रेंस में दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने ये विचार व्यक्त किए।

गौतम ने कहा कि ख़तरा सब पर है, किसी पर पहले तो किसी पर बाद में। उन्होंने कहा कि 1400 साल पहले तो भारत में मुसलमान नहीं थे तो आखिर क्यों शूद्र, अछूत, और महिलाओं की स्थिति जनवरों से भी बदतर थी। देश में एक विशेष जाति के लोग अपना अधिपत्य चाहते हैं इसीलिए तरह-तरह के हथकंडे अपना कर समाज को बांटने का घृर्णित कार्य हो रहा है।


मुस्लिम मजलिस-ए-मशावरत (रजिस्टर्ड) दिल्ली चैप्टर की ओर से ‘सामुदायिक सौहार्द्र को सशक्त बनाने की दिशा में’ विषय पर आयोजित मिल्ली मॉडल स्कूल, अबुल फ़ज़ल एनक्लेव, नई दिल्ली में आयोजित कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद डॉ राम बख़्श वर्मा ने कहा कि मेरे जीवन की शुरुआत आरएसएस के कार्यकर्ता के रूप में हुई थी। फिर मैं बीजेपी में लम्बे समय तक सक्रिय रहा। अब मैं समाजवादी सोच का व्यक्ति हो चुका हूं।

वर्मा ने कहा कि आरएसएस के लोग बोलते कुछ हैं और उनके मन में कुछ और होता है। दोहरा चरित्र है इनका।

डॉ राम बख्श वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में तानाशाह के सभी लक्षण मौजूद हैं। खुक को बॉयोलोजिकल कहना उसी का एक उदारहण है। हिटलर और मुसोलिनी की कार्यप्रणाली हमारे प्रधानमंत्री से बिलकुल मेल खाती है। मीडिया और कार्पॉरेट की मदद से देश में अराजक स्थिति पैदा कर दी गई है।

उन्होंने कहा कि धोखे से देश की सत्ता पर गद्दारों ने कब्ज़ा कर लिया है। एकजुट होकर देश को बचाने की ज़रूरत है। सच्चाई को जनसमूह तक ले जाने की आवश्यक्ता है। स्थिति बहुत चिंताजनक है।


कार्यक्रम की शुरुआज क़ारी अब्दुल मन्नान की तेलावत-ए-कलामपाक से हुई। अपने प्रारंभिक उद्बोधन में एआईएमएमएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान ने कुरान की आयत को उद्धृत करते हुए कहा कि हम सब आदम की औलाद हैं। मानवता ही हमारा धर्म है। भाईचारे का संदेश घर-घर पहुंचाना समय की मांग है।

डॉ ज़फ़रुल इस्लाम ख़ान ने कहा कि दुनिया में अशांति और बेचैनी है इसलिए हम सबका दायित्व है कि हम एकजुट होकर शांति का न केवल संदेश को आम करें बल्कि शांति स्थापित करने का हर संभव प्रयास करें।

डॉ ज़फ़रुल इस्लाम ने कांफ्रेंस के सफल आयोजन के लिए दिल्ली मशावरत के अध्यक्ष सैयद मो. नूरुल्लाह, उपाध्यक्ष डॉ एम रहमतुल्लाह, महासचिव डॉ एमए जौहर, कार्यकारी महासचिव मो. तैय्यब, सचिव एडवोकेट सरफराज़ हुसैन, कोषाध्यक्ष मो. मारूफ़ समेत दिल्ली चैप्टर के सभी सदस्यों को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।


सभी को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय पीस मिशन के अध्यक्ष दया सिंह ने कहा कि हर मुद्दे पर खुल कर बात करने की ज़रूरत है। मुसलमानों को या देशवासियों को मुग़ल शासकों पर गर्व करना चाहिए। औरंगज़ेब ज़ालिम बादशाह नहीं था। औरंगज़ेब अगर क्रूर होता तो वो मंदिरों और गुरुद्वारों को ज़मीन और संपत्ति दान न दिया होता।

दया सिंह ने कहा कि मुस्लिम शासकों ने सिखों के साथ अन्याय भी किए इसका ये मतलब नहीं कि हम अतीत की ग़लतियों का लेखा जोखा आज करने बैठ जाएं। हमें अच्छा समाज और सशक्त देश बनाना है इसलिए हमें साथ मिलकर अच्छा वातावरण पैदा करना होगा।


अपने अध्यक्षीय भाषण में इंस्टीट्यूट ऑफ हारमनी एंड पीस स्टडीज़ के डायरेक्टर डॉ एमडी थॉमस ने कहा कि सभी धर्म की अच्छी बातों पर अमल करने की ज़रुरत है। एक-दूसरे के त्योहारों पर खुले दिल से शुभकमानाएं देने और खुशियां मनाने की आवश्यक्ता है। वसुधैव कुटुम्बकम अच्छा आदर्श है लेकिन वर्तमान शासक इस आदर्श का मखौल उड़ा रहे हैं। धर्म को सही मायने में समझने की ज़रुरत है। सभी धर्म की अच्छी बातों पर अमल करके ही हम सदभावना का वातावरण पैदा कर सकते हैं।


मौलाना मुफ़्ती अताउर रहमान क़ासमी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज देश के जो हालात हैं उसके लिए सौ साल से संगठित साज़िश चल रही है। देश आज बहुत ही ख़राब दौर में है लेकिन ये दौर भी ख़त्म हो जाएगा। इसके लिए हम सबको मिलकर कोशिश करनी होगी। भारत में किसी भी मुसलिम शासक ने इसलाम फैलाने का काम कभी नहीं किया। वो केवल शासक थे और देश पर राज किया।

मुफ़्ती क़ासमी ने कहा कि नफ़रत की बुनियाद लंबे समय तक भारत जैसे देश पर शासन करना संभव नहीं है।

एडवोकेट फ़िरोज़ ख़ान ग़ाज़ी ने कहा कि विदेशियों ने भारत पर अच्छा या बुरा लेकिन सभी के साथ एक समान व्यवहार किए। भेदभाव और छुवाछूत विदेशी शासकों के पहले हुआ करता था। यही कारण है कि देश में अशांति अपने चरम पर थी। राष्ट्र और राष्ट्रवाद को परिभाषित करते हुए ।

फिरोज़ खान ने कहा कि नफ़रत से राष्ट्रवाद की जड़ें कमज़ोर होंगी। उन्होंने कहा कि देश में पिछले 25 वर्षों से धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया गया जिससे राजनीतिक लाभ उठाया गया।

फिरोज़ ख़ान ने कहा कि हमें देश को तोड़ने वाली शक्तियों के ख़िलाफ़ एकजुट होकर आंदोलन करना होगा।

प्रो. मो. सुलैमान ने कहा कि देश में धन्नासेठों और फ़ासिस्ट शक्तियों का गठजोड़ मज़बूत हो चुका है जिसे तोड़ने की ज़रूरत है।

प्रो सुलैमान ने कहा कि हमने देश को आज़ाद कराने की लड़ाई लड़ी थी अब हमें देश को बचाने की लड़ाई लड़नी होगी। इसके लिए हमें जान, माल और समय सब कुछ क़ुर्बान करना पड़ेगा।


कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार सुहैल अंजुम ने किया। मशावरत के दिल्ली चैप्टर के अध्यक्ष सैयद मो. नूरुल्लाह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर मो. शमशुज्ज़ुहा, चौधरी रहीसुद्दीन, सैयदैन काज़मी, मो. सवालेह, यूसुफ़ हरियाली, मुसलेहुद्दीन आज़मी, शाहीन कौसर, अनवर अहमद, शादाब हुसैन, मोईन ख़ान, वाजिद अली, मो मोजम्मिल, ख़लीक़ुज्ज़मा, चौधरी जावेद, यासीन राणा, ज़फ़र अहमद, अतीक़ अहमद, नक़ीबुल ग़ौस, कमाल अख़तर, रफी अहमद, मौलाना अब्दुल क़ादिर, डॉ ज़ुबैर अहमद क़ासमी, हसीब अहमद, इफ़्तेख़ार अहमद, महमूद आज़मी, दिलशाद ख़ान आदि समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।