वेटिकन सिटी। पूरी दुनिया के करोड़ों कैथोलिक अनुयायियों के लिए सोमवार सुबह एक गहरे शोक का क्षण बन गया, जब ईसाई धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे।
पोप फ्रांसिस ने वेटिकन के डोमस सान्ता मार्था निवास में सुबह 7:35 बजे अंतिम सांस ली। बीते कुछ वर्षों से वे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे, और हाल ही में उन्हें फेफड़ों के संक्रमण के कारण अस्पताल में भी भर्ती कराया गया था।
2013 में पोप चुने गए फ्रांसिस, जिनका असली नाम जॉर्ज मारियो बेर्गोलियो था, पहले लैटिन अमेरिकी और पहले जेसुइट पोप थे। अपने 12 साल के कार्यकाल में उन्होंने चर्च की छवि को अधिक मानवीय, सहानुभूतिपूर्ण और समावेशी बनाने का प्रयास किया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, निर्धनता, और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को प्रमुखता दी।
पोप फ्रांसिस की अंतिम सार्वजनिक उपस्थिति ईस्टर संडे के दिन हुई थी, जहाँ उन्होंने व्हीलचेयर पर बैठकर लोगों को आशीर्वाद दिया।
उनके निधन के बाद, वेटिकन अब नए पोप के चुनाव के लिए पैपल कॉन्क्लेव बुलाएगा, जिसमें दुनियाभर के कार्डिनल्स भाग लेंगे।
विश्वभर के धार्मिक और राजनैतिक नेताओं ने पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें एक करुणामय, सुधारवादी और प्रेरणादायक नेता बताया है।