नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव के उस बयान की कड़ी आलोचना की, जिसमें उन्होंने ‘रूह अफजा’ को “शरबत जिहाद” करार दिया था। कोर्ट ने कहा कि बाबा रामदेव का यह बयान “अक्षम्य” है और इसका किसी भी रूप में समर्थन नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा, “यह बयान न केवल गलत है, बल्कि समाज में नफरत और भेदभाव को बढ़ावा देता है। इसे किसी भी स्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता है।”
बाबा रामदेव का यह बयान हाल ही में वायरल हुआ था, जिसके बाद विभिन्न समुदायों के बीच विवाद और असहमति का माहौल बन गया था। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के बयान सार्वजनिक रूप से देने से पहले सोचना चाहिए, क्योंकि इससे समाज में तनाव और विभाजन हो सकता है।
यह मामला अब और जटिल हो गया है, क्योंकि कोर्ट ने बाबा रामदेव को सार्वजनिक रूप से जवाब देने के लिए कहा है। यह आदेश भारतीय समाज में जिम्मेदारी से बोलने और सार्वजनिक व्यक्तियों द्वारा दिए गए बयानों के प्रति सावधानी बरतने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।