हमले को भारत की एकता तोड़ने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साज़िश बताया गया
आगरा। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में रविवार को पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के विरोध में हिन्दुस्तानी बिरादरी ने सोमवार को सदर भट्टी स्थित कार्यालय में आपात बैठक आयोजित की। बैठक में वक्ताओं ने इस हमले को भारत की सामाजिक समरसता को तोड़ने तथा मुस्लिम समुदाय को उनके हिंदू भाइयों से अलग-थलग करने की सोची-समझी साज़िश बताया।
बैठक की अध्यक्षता हिन्दुस्तानी बिरादरी के चेयरमैन व भारत सरकार द्वारा सांप्रदायिक सौहार्द्र के लिए कबीर पुरस्कार से सम्मानित श्री सिराज कुरैशी ने की। उन्होंने कहा, “यह हमला भारत की साझी संस्कृति और अमन-पसंद तहज़ीब पर हमला है। आतंकियों का यह कायराना कृत्य हमारे सदियों पुराने भाईचारे को तोड़ने की नाकाम कोशिश है। देश की हर इंसाफपसंद आवाज़ को इसके खिलाफ मजबूती से खड़ा होना होगा।”
बिरादरी के उपाध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार श्री विशाल शर्मा ने कहा, “यह हमला उस विभाजनकारी सोच की पुनरावृत्ति है जिसने पहले देश को बाँटा और अब फिर से भारत के मुसलमानों को बाकी समाज से अलग करने की चाल चल रही है। लेकिन भारत की मिट्टी ऐसी नफ़रत की फ़सल कभी पनपने नहीं देगी।”
सामी आग़ाई, भारतीय मुस्लिम विकास परिषद के अध्यक्ष, ने कहा, “आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता। यह हमला हर उस भारतीय के दिल को ज़ख्म देता है जो अमन और इंसानियत में यक़ीन रखता है। भारत के मुसलमान हमेशा आतंकवाद के ख़िलाफ़ खड़े रहे हैं और रहेंगे।”
महासचिव व वरिष्ठ पत्रकार श्री विजय उपाध्याय ने कहा, “जब भी भारत वैश्विक मंच पर मज़बूती से खड़ा होता है, ऐसी ताक़तें सक्रिय हो जाती हैं जो हमें भीतर से तोड़ने की साज़िश रचती हैं। लेकिन भारत की जनता, ख़ासकर हमारी साझा विरासत को मानने वाले मुसलमान और हिंदू, ऐसी साज़िशों को नाकाम कर देंगे।”
समाजसेवी और बिरादरी के सचिव ज़ियाउद्दीन ने कहा, “हम भारत के मुसलमान हैं और आतंकवाद की हर विचारधारा को सिरे से खारिज करते हैं। हमारी वफ़ादारी अपने देश, इसकी संस्कृति और इसकी साझा विरासत के साथ है।”
बैठक में आतंकवादी हमले में घायल लोगों की शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए दो मिनट का मौन रखा गया। साथ ही एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर देश की एकता, शांति और सांप्रदायिक सौहार्द की रक्षा का संकल्प लिया गया।