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जहां बरसीं गोलियां: कश्मीर की वादियों में फिल्मों की रील और हकीकत की टकराहट

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसारन क्षेत्र में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। कश्मीर, जिसे अपनी स्वाभाविक सुंदरता के कारण ‘धरती का स्वर्ग’ कहा जाता है, एक बार फिर हिंसा की चपेट में आ गया है। विशेष रूप से ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से मशहूर पहलगाम, जो बॉलीवुड की पसंदीदा शूटिंग लोकेशनों में शामिल रहा है, आज डर और आक्रोश का केंद्र बन गया है।

घने जंगलों, बहती नदियों और हरे-भरे मैदानों के कारण पहलगाम लंबे समय से हिंदी सिनेमा के निर्माताओं की पहली पसंद रहा है। 1950-60 के दशक से लेकर आज तक, यहां कई यादगार फिल्मों की शूटिंग हुई है।

कुछ प्रमुख फिल्में जिनकी शूटिंग पहलगाम में हुई:

जब तक है जान: यश चोपड़ा की अंतिम फिल्म में शाहरुख खान, कैटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा की भूमिकाएं थीं। फिल्म का चर्चित गाना ‘जिया रे’ पहलगाम की सुंदर वादियों में फिल्माया गया था।

राज़ी: आलिया भट्ट और विक्की कौशल अभिनीत इस जासूसी ड्रामा की कुछ अहम शूटिंग लोकेशन्स पहलगाम और इसके आस-पास के क्षेत्र, जैसे दूधपथरी, में स्थित थीं।

हैदर: विशाल भारद्वाज की इस शेक्सपीयरन ट्रैजेडी में कश्मीर को एक किरदार की तरह प्रस्तुत किया गया। फिल्म का ‘बिस्मिल’ गीत मार्तंड सूर्य मंदिर में शूट हुआ, जो पहलगाम के मार्ग में आता है। क्लाइमेक्स के दृश्य भी यहीं शूट किए गए।

बजरंगी भाईजान: सलमान खान स्टारर इस भावनात्मक फिल्म के कई दृश्य बैसारन घाटी में फिल्माए गए थे, खासतौर पर ‘भर दे झोली मेरी’ गीत।

हाईवे: इम्तियाज अली की इस फिल्म में आलिया भट्ट का किरदार पहलगाम से कुछ किलोमीटर दूर अरु घाटी में जीवन के एक नए मायने तलाशता है।

वादियों की खामोशी और रील की रौनक

आज जिस स्थान पर गोलियों की आवाज गूंजी, वहीं कभी फिल्मी गीतों की धुनें बजती थीं। कश्मीर की इन वादियों ने वर्षों तक सिनेमा को न सिर्फ दृश्यात्मक सुंदरता दी, बल्कि भावनाओं की गहराई भी दी। यह विडंबना ही है कि जो धरती प्रेम और शांति की कहानियों की गवाह रही, वही आज खौफ के साए में जी रही है।