बेंगलुरु, भारत के वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. कस्तूरीरंगन का आज तड़के बेंगलुरु स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। उनके निधन से देश ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक दिग्गज व्यक्तित्व को खो दिया है।
डॉ. कस्तूरीरंगन वर्ष 1994 से 2003 तक ISRO के अध्यक्ष रहे। उनके नेतृत्व में भारत ने पीएसएलवी (PSLV) और जीएसएलवी (GSLV) जैसे उन्नत प्रक्षेपण यानों का सफल विकास किया, जो आज भी देश की अंतरिक्ष क्षमताओं की रीढ़ हैं। उन्होंने भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 की आधारशिला भी रखी।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
डॉ. कस्तूरीरंगन का जन्म 24 अक्टूबर 1940 को केरल के एर्नाकुलम में हुआ था। उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से भौतिकी में उच्च शिक्षा प्राप्त की और बाद में खगोल भौतिकी में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। उनका शोध कार्य उच्च ऊर्जा खगोल विज्ञान पर केंद्रित था।
राष्ट्रीय योगदान
अंतरिक्ष अनुसंधान के अतिरिक्त उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मसौदा तैयार करने वाली समिति का नेतृत्व किया, जिससे भारत की शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा मिली। वे राज्यसभा के सदस्य भी रहे और योजना आयोग में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई।
सम्मान और पुरस्कार
भारत सरकार ने उन्हें उनके योगदान के लिए पद्म श्री (1982), पद्म भूषण (1992) और पद्म विभूषण (2000) जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से नवाजा।
अंतिम श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, वैज्ञानिक समुदाय और शैक्षिक संस्थानों ने डॉ. कस्तूरीरंगन को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। इसरो ने अपने आधिकारिक वक्तव्य में कहा, “डॉ. कस्तूरीरंगन न केवल एक वैज्ञानिक थे, बल्कि एक दूरदर्शी नेता भी थे, जिन्होंने भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित किया।”
डॉ. कस्तूरीरंगन का जीवन आने वाली पीढ़ियों को विज्ञान, सेवा और राष्ट्रनिर्माण की प्रेरणा देता रहेगा।