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नई शिक्षा नीति विद्यार्थी को अध्ययन का विशेष अवसर प्रदान करती है – प्रो. हरे कृष्ण 

आगरा। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के खंदारी परिसर स्थित जेपी सभागार में सोमवार को “उच्च शिक्षा की नियामक प्रणाली का रूपांतरण”  विषय पर एक दिन की कार्यशाला का आयोजन किया गया ।
कार्यशाला की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल जी ने की , मुख्य अतिथि सुश्री मोनिका एस. गर्ग, अतिरिक्त प्रमुख सचिव ,उच्च शिक्षा ,उत्तर प्रदेश थीं और बीज वक्तव्य चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के प्रोफेसर हरे कृष्णा द्वारा प्रस्तुत किया गया ।
 मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के पश्चात आई.ई.टी. के निदेशक प्रोफेसर वीके सारस्वत द्वारा अतिथियों का स्वागत और परिचय प्रस्तुत किया गया । डॉ कृष्ण कुमार केसरवानी ने पीपीटी के माध्यम से लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम पर प्रकाश डाला ।
बीज वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए प्रोफेसर हरे कृष्णा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 प्रत्येक विद्यार्थी को अध्ययन का विशेष अवसर प्रदान करती है । यदि कोई विद्यार्थी किसी कारण से अपना अध्ययन सुचारू नहीं रख पाता है तो पाठ्यक्रम के मध्य में ही उसके लिए निकास की सुविधा है ।
ठीक उसी प्रकार यदि वह पुनः अपना अध्ययन प्रारंभ करना चाहता है तो जहां उसने अपना पाठ्यक्रम छोड़ा था वहीं से पुनः प्रवेश लेकर अपना पाठ्यक्रम पूर्ण कर सकता है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह प्रावधान किया गया है कि पाठ्यक्रम को कौशल विकास से जोड़ा जाए जिससे अधिकतम छात्रों को रोजगार प्राप्त हो सके ।
मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए  मोनिका ने कहा कि जुलाई 2021 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया जाना है । हमें स्वयं पर संशय नहीं होना चाहिए । जब हम दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ संकल्प बद्ध होकर आगे बढ़ेंगे तो कोई भी बाधा हमारी राह नहीं रोक पाएगी ।
विश्वविद्यालय की प्रशंसा करते हुए आपने कहा कि मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि एन आई सी के पोर्टल पर सर्वाधिक ई कंटेंट आपके विश्वविद्यालय से ही हैं । राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर आपने विकास विस्तार से प्रकाश डाला-
 1
पूरे प्रदेश के विश्वविद्यालयों के लिए एक समान पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा जिसमें 70% एक समान होगा और 30% पाठ्यक्रम में स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है ।
2
 मानवीय मूल्य ,नैतिक मूल्य और सतत विकास राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य है ।
3
स्वास्थ्य ,स्वच्छता और पोषण पर केंद्रित है राष्ट्रीय शिक्षा नीति । कुपोषण हमारे देश की एक बड़ी समस्या है ।इसके बारे में विद्यार्थियों को जागरूक करना होगा ।
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संप्रेषण कला , डिजिटल जागरूकता और कौशल विकास राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पाठ्यक्रम के अनिवार्य अंग हैं ।
 आगे आपने कहा कि विश्वविद्यालय के प्रत्येक महाविद्यालय को भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए महाविद्यालय स्तर पर एक समिति बनानी होगी ।
 अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल जी ने कहा कि यह बड़े हर्ष का विषय है कि हम सभी यहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर गंभीर चिंतन मनन करने के लिए एकत्रित हुए हैं
हमारे विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों में बहुत अधिक क्षमताएं हैं । आगरा विश्वविद्यालय का बहुत गौरवशाली इतिहास रहा है । उन्होंने मोनिका जी को विश्वास दिलाया कि जिस प्रकार ई कंटेंट अपलोड करने में विश्वविद्यालय प्रदेश में प्रथम स्थान पर रहा है उसी प्रकार हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में भी प्रथम स्थान पर रहेंगे ।
मुझे अपने शिक्षकों पर पूर्ण विश्वास है ।
धन्यवाद ज्ञापन आइक्यूएसी के चेयरमैन प्रोफेसर अजय तनेजा ने किया  प्रोफेसर विनीता सिंह प्रोफेसर मनोज श्रीवास्तव प्रोफेसर प्रदीप श्रीधर प्रोफेसर बी पी सिंह प्रोफेसर बृजेश रावत प्रोफेसर संजय चौधरी प्रोफेसर मोहम्मद अरशद प्रोफेसर मनोज उपाध्याय प्रोफेसर बिंदु शेखर शर्मा सेंट जॉन्स कॉलेज के प्राचार्य डॉ एस पी सिंह अनुराधा गुप्ता डॉक्टर टीवीएस यादव आदि उपस्थित रहे ।
वहीं  कार्यशाला के द्वितीय सत्र में प्रो. हरे कृष्णा ने कहा की नई शिक्षा पालिसी विद्यार्थियों के सम्पूर्ण विकास को ध्यान में रखकर बनाई गई है। आगे उन्होंने इसकी मूलभूत संरचना बताते हुए कहा कि इसमें विद्यार्थी बी.  ए. से लेकर एम.ए. तक के  पाठ्यक्रमों को 1+1+1+1+1 के रूप में पढ़ सकता है।
अर्थात एक साल कोर्स करके छोड़ने पर उसे सर्टिफिकेट, दो साल पर डिप्लोमा और तीन पूर्ण करने के बाद ही डिग्री मिलेगी। इसके अलावा एम.ए. के बाद पी-एच डी के लिए  एम. फिल की जगह उसे कोर्स वर्क करना होगा। जिसे पी.जी. डिप्लोमा इन रिसर्च नाम दिया गया है। सभी कोर्स सी.बी.सी.एस. प्रणाली पर संचालित होंगे।
 साथ ही साथ उन्होंने नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए  विश्वविद्यालय द्वारा प्रदेश में सबसे पहले स्थापित किये गए 10 प्रकोष्ठों की प्रशंसा की और प्रकोष्ठ द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए। अंत में प्रो. मनोज श्रीवास्तव द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।