अन्य

मशरूम की खेती कर युवा हो रहे हैं आत्मनिर्भर:- मो. सनाउल्लाह

सहरसा :- बिहार के सहरसा जिला के महिषी प्रखंड स्थित बाढ़ पीड़ित कोसी का यह इलाका बहुत ही पिछड़ा है। जहाँ भूखमरी, बेरोजगारी और पलायन कुलांचे भरती है। कोसी से पलायन का सिलसिला बदस्तूर जारी रहता है।कोशी में कल कारखानों की कमी के कारण यहाँ के लोग दिल्ली, पंजाब, हरियाणा वन्य प्रदेशों के अलग–अलग प्रान्तों में रोजगार के लिए दर–दर भटकते है। वैसे में अगर कोई कोसी के सरजमीं पर कुछ नया कर के रोजगार का रास्ता तैयार करते है तो बेशक ये काबिले तारीफ पहल है।
सहरसा जिला मुख्यालय से महज़ 6 किलोमीटर दूर बरियाही बाजार में मो.सनाउल्लाह उर्फ सल्लू और संदीप कुमार केशरी उर्फ गुड्डू के द्वारा मशरूम की खेती कर के आत्मनिर्भर बन रहे है।
मो. सनाउल्लाह ने बताया की कृषि विज्ञान केन्द्र अगवानपुर, सहरसा से प्रशिक्षण पाने के बाद इसकी शुरुआत की गई है।मशरूम से लोग खाने का कई तरह का लजीज व्यंजन बनाते है।और सुखाने के बाद इसका इस्तेमाल कम्पनी द्वारा दवाऔं और प्रोटीन पाउडर बनाने में इस्तेमाल करती है।साथ ही मशरूम में विटामिन बी, डी, पोटैशियम, कॉपर, आयरन और सेलेनियम की पर्याप्त मात्रा होती है। इसके अलावा इसमें एक खास पोषक तत्व पाया जाता है जो मांसपेशियों की सक्रियता और याददाश्त बरकरार रखने में बेहद फायदेमंद रहता है। मोहम्मद सनाउल्लाह ने कहा कि मशरूम की खेती अभी छोटे स्तर पर की गई है।उत्पादन देखने के बाद हमलोग इसकी खेती बड़े स्तर पर करेंगे।

संवाद। मज़हर आलम