आगरा। फ्रेंच भाषा बोलने वाले देशों में लिखे जा रहे फ्रेंच भाषा और साहित्य का विवेचन विश्लेषण करने के लिए एक 3 दिन की अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय के पालीवाल पार्क परिसर स्थित जुबली हॉल में किया जा रहा है ।यह हर्ष का विषय है कि उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में पहली बार हमारे विश्वविद्यालय को इस कार्यक्रम की मेजबानी करने का अवसर प्राप्त हुआ है ।
इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य अतिथि फ्रेंच राजनयिक फ्रांसिस पैराडिस ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से फ्रेंच भाषा और साहित्य का दूसरी भाषाओं के साथ तुलनात्मक अध्ययन होगा और इससे फ्रेंच भाषा के शोधार्थियों को बहुत लाभ प्राप्त होगा ।उन्होंने यह भी कहा कि भारत ऐतिहासिक महत्व का शहर है और यहां आने वाले पर्यटक फ्रेंच भाषी बहुतायत में होते हैं ।
क्या है फ्रैंकोफोन एवं साहित्य
इस त्रिदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन विदेशी भाषा विभाग, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिन्दी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ, डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा, एसोसिएशन ऑफ इन्डियन टीचर्स ऑफ फ्रैन्च (AITF) इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर क्यूबेक स्टडीज (AIEQ) और सेंटर ऑफ इंटरयूनिवर्सिटी अनुसंधान ऑन क्यूबेक साहित्य एवं संस्कृति (CRILCQ) के संयुक्त तत्वावधान में 25 से 27 अगस्त, 2022 के मध्य जुबली हॉल एवं के.एम.आई. प्रांगण में किया जा रहा है।
यह संगोष्ठी फ्रैन्च भाषा में आयोजित होने वाली भारत में पोस्ट कोविड फ्रैन्च भाषा की पहली अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी है तथा विदित हो कि उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय के अन्तर्गत होने जा रही फ्रैन्च भाषा की पहली संगोष्ठी है। यह संगोष्ठी फ्रैंकोफोनिक साहित्य (फ्रैन्च भाषी देश) के प्रबंधन, विज्ञान, मानविकी आदि में प्रशिक्षण की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करेगी। इस संगोष्ठी के अन्तर्गत इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर क्यूबेक स्टडीज (AIEQ) की 25वीं वर्षगांठ भी मनाई जाएगी।
इस संगोष्ठी में विभिन्न विषयों पर जिनमें फ्रैंकोफोनिक साहित्य, क्यूबिक अध्ययन, साहित्य और राष्ट्रवाद, तुलनात्मक साहित्य, अनुवाद और स्वागत अध्ययन, एक विदेशी भाषा के रूप में फ्रैन्च के स्वरूप का अध्ययन तथा भारतीय परिप्रेक्ष्य में फ्रैंकोफोन साहित्य इत्यादि विषयों पर छात्र अपने अनुसंधान पत्र प्रस्तुत करेंगे।
इस संगोष्ठी के माध्यम से संस्थान के छात्रों को एक वैश्विक मंच प्राप्त होगा एवं अगर वैश्विक सन्दर्भ में देखा जाए तो फ्रैन्च भाषा विश्व के 50 से अधिक देशों की कार्यकारी भाषा है एवं इस भाषा के जानकार विश्व के लगभग 150 देशों में निवास कर रहे हैं। इस भाषा के अन्तर्गत आने वाले पाठ्यक्रमों को करने के बाद छात्रों का बौद्धिक स्तर एवं उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास हो सकेगा तथा रोजगार की दृष्टि से भी ये पाठ्यक्रम बहुत उपयोगी हैं।
यह संगोष्ठी विभिन्न क्षेत्रों में विद्यार्थियों के समक्ष आने वाली चुनौतियों से लड़ने, फ्रैन्च भाषा सम्बंधी दृष्टिकोण को व्यापक करने, फ्रैन्च साहित्य एवं हिन्दी सहित अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य के मध्य तुलनात्मक अनुसंधान के नवीन आयाम खोलने आदि सम्बंधी सभी पक्षों पर विचार करने का एक अन्तर्राष्ट्रीय मंच उपलब्ध करायेगी। जिससे संस्थान के विद्यार्थी देश के साथ-साथ विदेश में भी अपनी सफलता का परचम लहरा पायेंगे।
इस संगोष्ठी में सम्मिलित होने के लिए मुख्य रूप से राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के प्रतिनिधियों, फ्रैंकोफोन अध्ययन विभाग के निदेशकों एवं संस्थाध्यक्षों को आमंत्रित किया गया है। इस संगोष्ठी का आयोजन के.एम. इन्स्टीट्यूट के विदेशी भाषा विभाग के अन्तर्गत आने वाले फ्रैन्च भाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ. प्रदीप वर्मा के संयोजकत्व में कराया जा रहा है।
जिसमें मुख्य के रूप में श्री फ्रांसिस पारादि, राजदूत एवं निदेशक, केबेक गवरमेन्ट, मुम्बई के अलावा अन्य अतिथियों के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सुश्री सूजी बोलियो, क्यूबेक स्टडीज एसोसिएशन, कनाडा, श्री पॉल कनागी एवं श्री रिचर्ड सुप्रेनमिस्त्री, (GOPIO), रियूनियन फ्रांस के अलावा राष्ट्रीय पटल से डॉ. एन.सी. मीराकमल (मद्रास विश्वविद्यालय) एवं प्रो. के. मदनगोपालन, प्रेसीडेन्ट, ए.आई.टी.एफ. आदि की उपस्थिति रहेगी।
संवाद:- दानिश उमरी