जीवन शैली

मल्बे का ढेर और क़ब्रिस्तान बनता ग़ाज़ा, और यू.एन.ओ. की बेबसी : मुहम्मद इक़बाल

आगरा | मस्जिद नहर वाली सिकंदरा के इमाम मुहम्मद इक़बाल ने अपने सम्बोधन में ‘ग़ाज़ा’ के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने कहा इस समय दुनिया एक पीढ़ी को ख़त्म करने में लगी हुई है। फ़िरऔन ने भी एक पीढ़ी को ख़त्म करने की कोशिश की थी। परिणाम क्या हुआ था ? क़ुरआन में सब दर्ज है। दुनिया को तहज़ीब सिखाने वाले इस समय इन्सानियत का लिबास भी उतार चुके हैं। सड़कों पर ‘जनाज़ों’ के ढेर लगे हुए हैं। ग़ाज़ा के लोग पाँच वक़्त की नहीं छः वक़्त की नमाज़ अदा कर रहे हैं। जी हाँ ‘नमाज़-ए-जनाज़ा’ के साथ। इतिहास में सब लिखा जा रहा है कि जब दुनिया भर की जनता पीड़ित फ़िलिस्तीन के पक्ष में अपने-अपने देशों में सड़कों पर उतर कर सपोर्ट कर रहे थे, उस समय दुनिया के नेता यू.एन.ओ. में जंग के पक्ष में अपने ‘वीटो’ का इस्तेमाल करके एक बड़ा कारनामा अंजाम दे रहे थे। हमेशा की तरह इस बार भी यू.एन.ओ फ़ेल हो चुका है। इसको भी ‘दफ़्न’ कर दिया जाए तो बेहतर है। ख़ास बात तो ये है कि वो यहूदी जो आज भी तौरात पर अमल करते हैं वो सब फ़िलिस्तीन के ‘हक़’ में पूरे ज़ोर-शोर से हिमायत कर रहे हैं। सलाम है उनको। हक़ बात हक़ ही होती है। हमको भी इससे सबक़ लेना चाहिए। इस समय जो स्थिति ग़ाज़ा की है, एक बहुत ही मुश्किल समय वहां के लोगों के लिए है। ऐसे दृश्य सामने आ रहे हैं कि बताना मुश्किल है। जंग के भी इस दुनिया ने उसूल बनाये हुए हैं। लेकिन यही दुनिया ख़ुद उसको तोड़ रही है। सब गूँगे-बहरे बने हुए हैं। किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा है। जो भी ऐसे मुश्किल दौर में हक़ के साथ है वो प्रशंसनीय है। उस समय फ़िरऔन ख़ुद ‘ख़ुदा’ बना हुआ था। इन्होंने भी सोच लिया है कि अल्लाह की अदालत में हमारा क्या काम ? लेकिन याद रखो ! हर एक को अल्लाह की अदालत में पेश होना है। जवाबदेही सबकी है। उस वक़्त सबकी आँखें खुल जाएँगी। उस वक़्त से हम सबको डरना चाहिए। अल्लाह मस्जिद अल-अक़्सा और मज़लूम फ़िलिस्तीनियों की हिफ़ाज़त फ़रमाए और ज़ालिम हुकमरानों से निजात अता फ़रमाए। आमीन।