जीवन शैली

कासगंज जिले भर में शब-ए-बरात पर लोगों ने दरगाह मस्जिदों और घरों पर इबादत और तिलावत की

संवाद – नूरुल इस्लाम
कासगंज। इस्लामिक कैलेंडर के शाबान माह की 15 तारीख को मुकद्दस शब-ए-बरात (छुटकारे की रात) पर लोगों ने दरगाह, मस्जिदों और घरों पर इबादत और तिलावत की। बड़ी संख्या में लोग कब्रिस्तान में पहुंचे। लोगों ने हाजिरी लगाई।
कासगंज,बिलराम,सहावर, अमापुर, सिढपुरा, गंजडु़ंडवारा,पटियाली, कस्बा भरगैन में शब-ए-बरात को लेकर सुबह से ही मुस्लिम घरों में तैयारी शुरू हो गई थी। खासकर हलुवा सहित तमाम तरह के पकवान घरों में बनाए गए और दिनभर न्याज नजर का दौर चलता रहा। शाम को मगरिब की नमाज के बाद शाबान की 15वीं रात को लोगों का दरगाह और कब्रिस्तान पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ, जो पूरी रात जारी रहा। वहां लोगों ने हार फूल पेश किए और न्याज नजर के साथ अल्लाह से दुआ मांगी। इस मुकद्दस रात में घरों और मस्जिदों में लोगों ने रातभर जागकर इबादत की।मस्जिदें ,दरगाहें,कब्रिस्तान, मजार और लोगों के घर रोशनी से जगमगा उठे। रातभर घरों और मस्जिदों में जलसों व कुरआन की तिलावत की गूंज रही।


कस्बा सहावर आलिया सुन्नी मस्जिद के इमाम मौलाना रिजवान कादरी ने बताया बीती साल किए गए गुनाहों का लेखा-जोखा तैयार करने और आने वाले साल की तकदीर तय करने वाली इस रात को शब-ए-बरात कहा जाता है। इस रात को पूरी तरह इबादत में गुजारने की परंपरा है। कस्बा सहावर दरगाह रमजान शाह, दरगाह मामू भांजे ,दरगाह सूफी अजमत उल्लाह शाह,दरगाह दीन मोहम्मद साहब की दरगाहों पर रात में जलसे आयोजित हुए। आयोजित जलसों में उलेमाओं ने शब-ए-बरात के महत्व और इस रात की जाने वाली इबादत, उसके फायदे, अल्लाह और रसूल के फ़रमान के विषय पर तकरीर के माध्यम से प्रकाश डाला। जगमग हुए कब्रिस्तान, मांगी दुआ।कस्बा भरगैन में शब-ए-बरात पर कस्बे का 989 बीघे का कब्रिस्तान और दरगाह चिश्ती पीर बाबा, मजार काले खाँ बाबा, मजार रोशन शाह बाबा, मजार पंच पीर आदि रोशनी से जगमगा उठे। दरगाह और मजारों पर दुआ के लिए लोग पहुंचे। इस मुबारक रात में लोग अपने पूर्वजों, रिश्तेदारों, शहीदों की कब्रों पर गए और उनके लिए ईसाले सवाब किया।


कस्बा सहावर के एटा रोड थाने के पास स्थित औलिया सुन्नी जामा मस्जिद व दरगाह हाफिज आलिम सूफी अजमत उल्लाह शाह पर इमाम मोलाना सूफी रिजवान कादरी ने शबेबरात की फजीलत को बताया और कजा नमाजे व निफल, सलातो तस्बीह ,रोजा बगैराह किस तरह अदा करना चाहिए इन सब की अहमीयत बताई फिर आखिर में सलातो सलाम के साथ फातिहा ख्वानी हुई।

इस मौके पर हाजी वासिफ खां,अनीस पेंटर, इमरान अजमती,मोहम्मद अकरम, मोहम्मद आरिफ़, सरबर अजमती, गुलजार मेबाती,अली हैदर, अशरफ खान, डाँ मुशीर, डाँ बब्लू, जोन्टी हसन,मोहम्मद यासीन बगैराह मोजूद थे।