रसूलुल्लाह ﷺ के पास कोई गार्ड नहीं थे जो आपकी मुस्ताकिल हिफ़ाज़त करता थे। बल्कि बाज़ हालात ऐसे बने कि सहाबा इकराम रज़ि० ने खुद ही इस काम की पहल की थी, वो भी बिना किसी के असाइन किये हुए।
- हज़रत मोहम्मद मुस्लिमा अल-अंसारी अल-औसी रज़ि०
ये रसूलुल्लाह ﷺ के साया थे और आप के मुहाफिज़ो के सरदार थे। आप का जिस्म मज़बूत, लम्बा, सर गंजा, भूरा रंग, अज़मतो हिम्मत वाले थे। हर मुश्किल और नामुमकिन मिशन करने वाले आदमी, उन्होंने और उनके बच्चों ने रसूलु्ल्लाह ﷺ की उँगलियों पर इताअत की।
ये उन लोगों में थे जो गज़वाए उहद में रसूलुल्लाह ﷺ के साथ साबित क़दम रहे और बहुत से लोगों के भागने पर भी रसूलुल्लाह ﷺ के साथ आख़िर तक टिके रहे। चौदह आदमी थे जिनके हाथ में रसूलुल्लाह ﷺ की हिफाज़त थी, आप उन चौदह आदमियों के अमीर थे, आप ने आखिर तक रसूलुल्लाह ﷺ की हिफ़ाज़त की और उनके साथ जंग लड़ी हत्ता की रसूलुल्लैह ﷺ शदीद प्यासे थे।
चुनाचे मुहम्मद बिन मुस्लिमा रज़ि० ने तलवारों और भालों के दरमियान दुश्मन की सफ़ों को तोड़ा यहाँ तक कि पानी के चश्मे पर पहुँच कर प्यास बुझाई और रसूलुल्लाह ﷺ के पास मीठा पानी लाए।
- हजरत सअद बिन माज़ अंसारी रज़ि०
आप रसूलु्ल्लाह सल० के सैन्य सलाहकार थे, जंगे बदर में अल-अरीश टेंट बनाने का मशवरा दिया और पैगंबर मुहम्मद ﷺ की हिफ़ाज़त के लिए पेश आये। आप ने एक ऊँचे मुक़ाम पर फ़ौज की कयादत और निगरानी की। वो रसूलु्ल्लाह ﷺ की हिफ़ाज़त के लिए तलवार के साथ अरीश के दरवाज़े पर खड़े हो गए ताकि किसी भी अचानक हमले से बचाया जा सके।
- हज़रत अबु-बक्र सिद्दीक़ रज़ि०
आप रसूलु्ल्लाह ﷺ के करीबी और प्यारे साथी थे, जब आप ﷺ मक्का से मदीना की तरफ़ हिजरत के लिये निकले तो हज़रत अबुबक्र आप से साथ निकले, वो कभी आप के सामने चले, कभी आपके पीछे, एक बार दाए और एक बार बाएँ। जब आप ﷺ ग़ारे सोर पहुँचें तो आप रसूलुल्लाह ﷺ से पहले ग़ार में दाखिल हुए ताकि अंदर कोई दिक़्क़त हो तो रसूलुल्लाह ﷺ को तकलीफ़ ना पहुँच जाए।
एक बार हज़रत अली इब्ने अबी तालिब रज़ि० ने सहाबा की एक जमात से पूछाः ऐ लोगों! मुझे उस के बारे में बताओ जो लोगों में सबसे ज़्यादा बहादुर है ?
उन्होंने जवाब दियाः ऐ अमीरुल मोमिनीन आप!
फ़रमायाः सबसे ज़्यादा बहादुर हज़रत अबुबक्र सिद्दीक़ रज़ि० हैं, उन्होंने गज़वाए बद्र के दिन रसूलु्ल्लाह सल० के लिए आरामगाह बनायी।
- हज़रत साद बिन वक़ास रज़ि०
जब रसूलु्ल्लाह ﷺ ने मदीना की तरफ़ हिजरत की तो एक रात हजरत आयशा रज़ि० के साथ क़याम किया और उनसे फ़रमायाः “में चाहता हूँ कि मेरे सहाबा में से कोई नेक इंसान आज रात मेरी हिफाज़त करे”
इसी दौरान रसूलुल्लाह ﷺ ने एक हथियार की आवाज़ सुनी और पूछा “ये कौन है”?
ये हज़रत शाद बिन वक़ास रज़ि० जिन्होंने कहाः
“ऐ अल्लाह के रसूल, में आपकी हिफ़ाज़त करने के लिए आया हूँ”। सहीह इब्ने हिबान (6986)
जरिया। फेस बुक वाल