अपराधउत्तर प्रदेश

अखिल भारतीय माहौर क्षत्रिय स्वर्णकार महासभा द्वारा की जा रही धांधली, ठगी और आपराधिक कृत्यों का किया खुलासा

सारथी फाउंडेशन ट्रस्ट ने जनहित में प्रेस वार्ता आयोजित कर प्रस्तुत किए प्रमाण, दिखाया न्यायालय का आदेश

आगरा। सारथी फाउंडेशन ट्रस्ट ने जनहित में प्रेस वार्ता आयोजित कर प्रस्तुत किए प्रमाण, दिखाया न्यायालय का आदेश मैं दिनेश कुमार वर्मा ‘सारथी’ अध्यक्ष, सारथी फाउंडेशन ट्रस्ट आगरा स्वर्णकार समाज से हूं। वर्ष 2015 में प्रशासनिक सेवा से निवृत्ति के उपरांत समाज सेवा से जुड़ा। सदैव संतुष्टि का भाव, साहित्य के माध्यम से वैचारिक क्रांति तथा विषम परिस्थितियों के समक्ष कभी न घुटने टेकने की आदत के चलते मैंने समाज मैं चल रहे विभिन्न संगठनों को नियम से कार्य करने की सलाह दी, किंतु समाज के ही चन्द लोगों ने मेरी जीवन भर की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास किया जिसके कारण मैं अपनी स्थिति स्पष्ट करने हेतु लोकतंत्र के चौथे किन्तु सबसे मजबूत स्तंभ मीडिया के समक्ष अपनी गुहार और पुकार लेकर हाजिर हूं तथा एक राष्ट्रीय सामाजिक संस्था द्वारा किए गए अपराधिक कार्यों का खुलासा करने जा रहा हूं।

अखिल भारतीय माहौर क्षत्रिय स्वर्णकार महासभा के पदाधिकारी गण मेरे घर आए और कहा कि उनकी संस्था भारत के समस्त स्वर्णकार समाज के व्यक्तियों की केंद्रीय प्रतिनिधि सभा है, संस्था की प्रबंध समिति का निर्वाचन कराया जाना है जिसके अंतर्गत सदस्यता ग्रहण कराई जा रही है। संस्था का त्रिवार्षिक सदस्यता शुल्क ₹2100/- है एवं उनके द्वारा संस्था के संबंध में अन्य जानकारी दी गई। यद्यपि मैं पूर्व से उक्त संस्था तथा विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़ा हुआ था, फिर भी मैंने ₹2100/- नगद भुगतान कर उक्त संस्था की सदस्यता ग्रहण करली।

संस्था के निर्वाचन की प्रक्रिया प्रारंभ हुई, मैं भी अन्य उम्मीदवारों की तरह संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए खड़ा हुआ। नामांकन पत्र दाखिल करते समय मैंने चुनाव अधिकारी तथा चुनाव प्रेक्षक से संस्था के बायोलॉज, वित्तीय स्थिति की बैलेंस शीट उपलब्ध कराने तथा तब तक संस्था के निर्वाचन को रोकने का अनुरोध किया, किन्तु निर्वाचन प्रेक्षक के त्यागपत्र देने की धमकी के बाबजूद चुनाव अधिकारी जगदीश वर्मा द्वारा अपेक्षित अभिलेख उपलब्ध नहीं कराये गये। अंततोगत्वा मैंने डिप्टी रजिस्ट्रार, सोसायटी फर्म्स एवं चिट्स के कार्यालय में आवेदन कर पत्रावली का निरीक्षण किया तो बहुत सारे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

वर्ष 2021 में हुये निर्वाचन के अनुसार 2024 तक निर्वाचन की कोई आवश्यकता ही नहीं थी, केवल ठगी करने के उद्देश्य से 27-3-2022 को महासभा का निर्वाचन होना घोषित किया। दिनांक 18-12-2021 की इस चुनाव कार्यवाही में क्रमांक-9 पर अंकित जितेन्द्र सिंह वर्मा को सदस्य दिखाया गया, जिनकी मृत्यु दिनांक 7-5-2020 को ही हो चुकी थी, इसके पीछे की मंसा का पता नहीं। तीन सौ से भी अधिक लोगों से 2100-2100 रुपया सदस्यता शुल्क के नाम पर वसूल कर लाखों रुपये की ठगी की गई, विभिन्न सामाजिक कार्यों, निःशुल्क वैवाहिक कार्यक्रमों के लिए धन एकत्रित किया, संस्था के बायलॉज के अनुसार किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में संस्था के नाम का कोई खाता खोलकर उस धन को जमा न कर अपने निजी उपयोग में लाते रहे। हकीकत यह है।

कि दिनांक 15-4-2014 को बिना निर्वाचन अपनी वाक्पटुता, भाषण से सम्मोहित कर शिव शंकर वर्मा निवासी सोंख जिला मथुरा संस्था के कार्यवाहक अध्यक्ष बने और रू 254250/- नगद तथा लाखों रुपया चन्दे के रूप में एकत्रित किया जिसकी कोई रसीद नहीं दी गई, बल्कि उक्त धनराशि अनुचित कार्य के लिए एक पदाधिकारी के व्यक्तिगत खाते में जमा की गई। संस्था का सदस्यता शुल्क मात्र 51/- रुपया था, इसके स्थान पर ₹2100/- सदस्यता शुल्क, ₹5000/- नामांकन शुल्क और ₹10000/- जमानत की धनराशि के रूप में कुल 17100/-प्राप्त कर ठगी की गई। दिनांक 15-11-2022 को जबकि उक्त प्रकरण में डिप्टी रजिस्ट्रार के समक्ष अंतिम सुनवाई विचाराधीन थी।

विपक्षी गण के पास अपनी बेगुनाही का कोई सबूत नहीं था तो मामले को उलझाने की दृष्टि से तथा मेरे छोटे पुत्र चीफ इंजीनियर मोहित वर्मा जो कि विगत लगभग 20 वर्षों से एनआरआई था, अकेला पाकर चिट फंड कार्यालय के बाहर उसके साथ अभद्रता, मारपीट व जान से मारने की नीयत से हमला किया। थानाध्यक्ष जगदीशपुरा ने संपूर्ण तथ्यों की जानकारी करने पर दोनों पक्षों में राजीनामा करा दिया, किंतु उन्हीं थानाध्यक्ष ने मोहित का पासपोर्ट रोके जाने के लिए घटना के 58 दिन बाद जगदीश वर्मा के षड्यंत्र में फंसकर एक झूठी FIR(NCR) अंतर्गत धारा 323/504/506 आईपीसी दर्ज करली जिसकी विवेचना प्रचलित है। दिनांक 28-1-2023 को डिप्टी रजिस्ट्रार सोसाइटी फर्म्स एवं चिट्स ने सभी अभिलेखों का परीक्षण करने के उपरांत यह आदेश निर्गत किया।

कि संस्था के नवीनीकरण के समय शिव शंकर वर्मा के हस्ताक्षरों से जो प्रपत्र प्रस्तुत किए गए वह फर्जी है, सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम की धारा 25(2) के तहत दिनांक 11-12-2019 से संस्था को कालातीत घोषित किया गया तथा वित्तीय अनियमिताओं की जांच के लिए श्री सचिन गोयल, चार्टर्ड अकाउंटेंट नेहरू नगर आगरा को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। सी ए ने भी अपनी रिपोर्ट दिनांक 5.1.2024 को उप निबंधक, फर्म्स सोसाइटी एवं चिट्स को प्रस्तुत कर दी कि संस्था द्वारा जांच हेतु कोई अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए गए, संस्था का यह कृत्य वित्तीय अभिलेखों के संदर्भ में संदेहात्मक प्रतीत होता है, संस्था के विरुद्ध सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1860 सुसंगत धारा में कार्यवाही की जाए।

संस्था के पदाधिकारियों द्वारा किए जा रहे उक्त कृत्य की जानकारी दिनांक 25-3-2022 को तथा समय-समय पर समाज के सैकड़ों लोगों द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी, जांच हुई, आरोप प्रथम दृष्टया सिद्ध थे, फिर भी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई और चिट फंड अधिकारी के आदेश को धता बताते हुये भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतों, जनपदों एवं कस्बों में कार्यक्रम आयोजित करते रहे और समाज में वैमनस्य का जहर घोलते हुए कार्यक्रमों के नाम पर पैसा वसूलते रहे। अंत में प्रकरण माननीय न्यायालय के संज्ञान में लाया गया और उनके आदेश दिनांक 15-4- 2024 के अंतर्गत थाना छत्ता में सुसंगत धाराओं के अंतर्गत विपक्षीगण शिव शंकर वर्मा, भूपेंद्र कुमार वर्मा, उत्तमचंद वर्मा, जय वर्मा, जगदीश वर्मा, ओमप्रकाश जोहरी, कृष्ण स्वरूप वर्मा, संजय कुमार वर्मा एवं विनोद कुमार वर्मा के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज किए जाने के निर्देश थाना अध्यक्ष छत्ता को निर्गत किए गए हैं।

मैं समाज का जागरूक कार्यकर्ता होने के कारण विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों से यह कहना चाहता हूं कि समाज सेवा एक बहुत ही जटिल कार्य है जिसमें पग-पग पर वित्तीय अननियमितायें हो सकती हैं। समाज के धन को कोई क्षति ना हो, इसके लिए उसका हिसाब किताब रखना तथा समाज को उससे रूबरू कराया जाना अत्यंत आवश्यक है। ताकि समाज सेवा के लिए अग्रणी बुद्धिजीवी बंधु ऐसे षड्यंत्र का शिकार ना हो। मैंने सत्य के साथ पूरा खुलासा कर दिया है। अब समाज की जिम्मेदारी है कि वह दोषी व्यक्तियों को दण्डित करायें तथा लोभ, मोह, अहंकार से विरक्त होकर सत्य का साथ दें।