नाई की मंडी स्थित श्रीप्रेमनिधि जी मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन हुए सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष कथा प्रसंग
बरसाना से पधारे भागवताचार्य अनन्त दासानुदास सुना रहे ठाकुर श्याम बिहारी जी को कथा
आगरा। भक्त से यदि भगवान की पहचान होने लगे तो समझिये वो भक्ति अनंत कोटि ब्रह्मांडनायक के हृदय को स्पर्श करती है। श्रीमद् भगवत कथा के सातवें दिन भक्त श्रीप्रेमनिधि जी के चरित्र का वर्णन भागवताचार्य अनन्त दासानुदास (बरसाना) ने किया।
कटरा हाथी शाह, नाई की मंडी स्थित पुष्टिमार्गीय प्राचीन श्रीप्रेमनिधि जी मंदिर में श्रीमद् भगवत कथा की अमृत वर्षा हो रही है। कथा के सातवें दिन वामन अवतार, रुक्मणि मंगल, सुदामा चरित्र सहित भक्त श्रीप्रेमनिधि चरित्र का वर्णन कथा व्यास ने किया। उन्होंने कहा कि भगवान निश्छल और समर्पित भक्त के साथ सदैव रहते हैं और समय− समय पर प्रत्यक्ष दर्शन भी देते हैं। बस कर्म करते रहिए और समर्पण भाव रखिए। भक्त से फिर भगवान की पहचान स्वतः होने लग जाती है। इसका प्रमाण श्रीप्रेमनिधि जी का चरित्र है। जिसका वर्णन प्रमुख ग्रंथाें में भी किया गया है।
उन्होंन श्रीकृष्ण− सुदामा प्रसंग पर कहा कि मित्रता का कहीं आदर्श प्रमाण देखना है तो श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता से बढ़कर नहीं हो सकता। एक मित्र जो राजा है, तीनों लोकों का स्वामी है तो वहीं दूसरा मित्र रंक की भांति जीवन यापन करता है। मित्रता की दरिद्रता का नाश कर उसे अपने हृदय से लगाकर जो दीनबंधु कहलाया वो ही जो जग में आदिपुरुष दीनबंधु दीनानाथ कहलाया। सातवें दिन के यजमान राकेश पाराशर ने पावन भगवत कथा जी की आरती उतारी। मुख्य सेवायत हरिमोहन गोस्वामी और सुनीत गोस्वामी ने बताया कि शुक्रवार को सुबह हवन एवं सायंकाल प्रसादी के साथ कथा विश्राम होगा। इस अवसर पर मंदिर प्रबंधक पंडित दिनेश पचौरी, आशीष पचौरी आदि उपस्थित रहे।