जंजीरों में जकड़े बचपन को मानसिक आरोग्यशाला में कराया भर्ती
सामाजिक कार्यकर्ता ने निभाया मानव धर्म, चिलचिलाती धूप में ले गए अस्पताल
आगरा। 48 डिग्री तापमान की भीषण गर्मी में कलेजे के टुकड़े को लोहे की जंजीरों से बांधे फुटपाथ पर बैठी बेवश मां रविवार को हर किसी के लिए दया का पात्र बनी हुई थी लेकिन सिस्टम के सामने सब मजबूर थे। गोरखपुर से आई महिला अपने मानसिक दिव्यांग लाडले का ईलाज कराना चाहती थी लेकिन मानसिक आरोग्यशाला की ओपीडी बंद होने के कारण उसका ईलाज न हो सका। एसएन इमरजेंसी में भी भर्ती नहीं किया तो उसने फुटपाथ को ही ठिकाना बना लिया। बच्चे को जंजीरों में जकड़ा देख बाल अधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस का दिल पसीस गया। नगर निगम के सहयोग से उसे मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती कराया। जहां उसका ईलाज शुरू हो गया। अंजान शहर में अंजान व्यक्ति से मिली मदद से महिला भावुक होकर धन्यवाद दे रही थी।
गोरखपुर से अकेली आई मां
गोरखपुर के संत कबीर नगर की रहने वाली दीपशिखा पांडे अपने एकलौते सात वर्षीय मानसिक दिव्यांग बच्चे का हर जगह ईलाज कराकर थक चुकी थी। अब वह आगरा के मानसिक चिकित्सा संस्थान में ईलाज कराना चाहती थी। पति की नौकरी छूट गई। घर में पैसे का इंतजाम न था। पति पैसों के अभाव में ईलाज को टाल रहा था लेकिन मां का दिल नहीं माना। वह बेटे की खातिर पति के विरोध में आ गई। अपने बेटे का ईलाज कराने आगरा आ गई। शनिवार ओपीडी बंद होने के बाद महिला मानसिक आरोग्यशाला पहुंची। यहां उससे एसएन इमरजेंजी भेज दिया गया। वहां भी बच्चे को भर्ती नहीं किया गया। महिला फुटपाथ पर ही रहने लगी।
बच्चे को कुत्ते ने काटा
फुटपाथ पर रहने को मजबूर का दुर्भाग्य ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा। बच्चे को कुत्ते ने काट लिया। बच्चा मानसिक दिव्यांग होने के कारण अपने शरीर का भी ख्याल नहीं रख पाता है। वह कपड़े उतार देता है। दूसरों पर हमला कर देता है। चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने इस मजबूर मां को देखा तो आश्रय दिलाने के लिए नगर निगम के आश्रय प्रभारी डॉ.अजय कुमार सिंह से संपर्क किया। उन्होंने आश्रय दिलाने के लिए नगर निगम की टीम भेज दी लेकिन आश्रय गृह में बच्चे का ईलाज नहीं हो सकता था। ईलाज के लिए नरेश पारस ने मानसिक चिकित्सा स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक डॉ. दिनेश राठौर से अनुरोध किया। उन्होंने मानसिक आरोग्यशाला बुलाया।
भीषण गर्मी में भी दिखा मदद का जज्बा
रविर की दोपहर भीषण गर्मी के चलते सभी घरों में दुबके हुए थे। ऐसे में नरेश पारस बेवश महिला की मदद के लिए आगे आए। वह नगर निगम की टीम और डॉ. अजय कुमार सिंह के सहयोग से महिला और बच्चे को लेकर मानसिक आरोग्यशाला पहुंचे। संस्थान के निदेशक के आदेश पर बच्चे को अस्पताल में भर्ती कर लिया गया। जंजीरों से मुक्त करके उसका ईलाज शुरू हो गया। नरेश पारस ने बच्चे के भर्ती होने की सूचना उसके पिता अमित पांडे को दे दी है। सोमवार को जिला अस्पताल में बच्चे के एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाया जाएगा। अन्य जांच जिला अस्पताल और एन एन मेडीकल कॉलेज से कराई जाएंगी। बच्चा भर्ती होने पर दीपशिखा नरेश पारस का बार बार आभार जता रही थी। उसे उम्मीद नहीं थी कि अंजान शहर में कोई उसकी मदद के लिए आगे आएगा।