फिरोजाबाद : इस्लामिक सेंटर फिरोजाबाद द्वारा ईद-उल-अजहा के अवसर पर कुर्बानी से सम्बन्धित 12 सूत्री एडवाइज़री जारी की गई।
इस दौरान इस्लामिक सेन्टर सचिव “मौलाना आलम मुस्तफा याकूबी” ने बताया कि इस्लामिक सेन्टर गत वर्षों से विभिन्न अवसरों पर इवादात, नमाज़, रोज़ा, ज़कात, हज, कुर्बानी से सम्बन्धित तमाम मुस्लिम समाज की आसानी के लिए एडवाइज़ी जारी करता रहा है।
उसी क्रम में आज एक प्रेस वार्ता कर आने वाली दो दिन के बाद ईद-उल-अजहा यानि बकर ईद को लेकर आमजन को जागरूक किया गया और मुसलमानों के लिए कुरआन हदीस की रोशनी में निम्न एडवाइज़ी जारी की है। कि मुस्लिम समाज इसका ख्याल रखेगा और एक अच्छा शहरी और आदर्श मुसलमान होने का सबूत देगा।
वहीं 12 सूत्री एडवाइज़ी में कई बातें जैसे इस वर्ष ईद-उल-अज़हा 17 जून 2024 दिन सोमवार में होगी।
इस वर्ष ईद-उल-अजहा की नमाज का समय 6 बजे से 9 बजे तक ज्यादातर मस्जिदों और ईदगाहों में रहेगा।
नमाज ईद-उल-अजहा वाजिब है। जिसमें एक रास्ते में जाना और दूसरे रास्ते से आना सुन्नत है।
नमाज ईद-उल-अजहा पूरे जिले में सब से पहले मस्जिद आयशा मरकज़ मदीना कॉलोनी, फिरो० में सुबह 6 बजे होगी। फिर ईदगाह में 7:15 पर, फिर जामा मस्जिद सदर बाजार में 7:30 बजे और शाही मस्जिद में सुबह 7:45 पर होगी।
कुर्बानी हज़रत इब्राहीम अलै० की सुन्नत और अल्लाह का हुक्म है, यह कोई रस्म (परम्परा) नहीं है, उस पर मोहम्मद साहब ने अमल किया है और अपनी उम्मत को भी इस पर अमल करने का हुकम दिया है, हर मालदार पर (जिसके पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तौला चाँदी या इसके बराबर नकद रुपये या तिजारत का माल हो) उस पर कुर्बानी वाजिब है, पूरे एहतिमाम के साथ कुर्बानी करें।
कुर्बानी के दिनों में अल्लाह को कुर्बानी से बढ़कर कोई और नेकी पसंद नहीं, इसलिए मुस्लिम समाज को ईद-उल-अजहा (बकर ईद) के अवसर पर जहाँ तक मुम्किन हो कुर्बानी करने की कोशिश करनी चाहिए।
ईद-उल-अजहा (बकर ईद) के मौके पर कुर्बानी के जानवर की फोटो और वीडियो हरगिज सोशल मीडिया पर न डालें, और ना खुले में कुर्बानी करें और न सड़कों और गलियों में कुर्बानी करें।
कुर्वानी का बदल किसी भी तरह का सदका, खैरात और गरीबों की मदद या कोई दूसरा नेक काम नहीं हो सकता।
कुर्बानी का गोश्त पॉलीथिन में न बाँटे, गोश्त कागज या कपड़े के थैले में बाँटे।
कुर्बानी प्रतिबंधित जगहों में न करें। प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी न करें और सफाई-सुथराई का खास ख्याल रखें।
चाँद की 9 तारीख से 13 तारीख तक सभी फर्ज नमाज़ों के बाद तकवीर-ए-तशरीक पढ़ें यह पढ़ना वाजिब है। सभी लोग इसका एहतिमाम करें। मर्द और औरतें दोनों।
ईद-उल-अजहा (बकर ईद) के दिन डी० जे० बजाना, गाने बजाना, रास्ता रोकना और किसी पड़ोसी को तकलीफ देना, इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता। इस तरह की विभिन्न बिंदु पर चर्चा की गई ।