आगरा। हज़रत मुईन उद्दीन चिश्ती रह. अजमेरी संजरी (ख़्वाजा ग़रीब नवाज़) के 813 वें सलाना उर्स मुबारक के मौके पर हर साल की रवायत को कायम रखते हुए इस साल भी बडी़ शानो शौकत के साथ दरगाह हज़रत सैय्यदना शाह अमीर अबुल उला रह़.पर छटी शरीफ़ (कुल शरीफ़ फातिहा) 7 जनवरी 2025 बरोज मंगल सुबह 10:30 बजे रिवायत के अनुसार मौरूसी सज्जादा नशीन हज़रत सैय्यद मोहतशिम अली अबुल उलाई और नायब सज्जादगान सैय्यद विरासत अली अबुल उलाई, सैय्यद ईशाअत अली अबुल उलाई व सैय्यद कैफ़ अली अबुल उलाई की मौजूदगी में किया गया।
एक रात शेर-ए-खुदा हज़रत अली, हज़रत हसन रज़ी. और हज़रत हुसैन रज़ी. हज़रत सैय्यदना शाह अमीर अबुल उला रह. के ख्वाब में आए और उन्हें गंभीर संज्ञान देते हुए दुर्वेश (फ़कीरी) का रास्ता अपनाने का आदेश दिया, हज़रत सैय्यदना (रह.) अकबराबाद से दिल्ली के लिए रवाना हुए और हज़रत ख्वाजा कुतुब उद्दीन बख्तियार काक़ी (रह.) और हज़रत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया (रह.) के यहां हाज़िरी देने के बाद अजमेर पहुंचे। अजमेर में रहने के दौरान हजरत ख्वाजा गरीब नवाज (रह.) ने हज़रत सैयदना (रह.) को मुंह में तस्बीह का एक मनका दे कर (रुहानी तौर पर) प्रबुद्ध किया, इस प्रकार हज़ारों रुहानी राज़ ज़ाहिर हुए और हजरत ख्वाजा गरीब नवाज (रह.) नें अनगिनत रूहानी राज़ो को खोलकर हज़रत सैय्यदना रह. का जीवन बदल दिया।
आज भी आगरा, भारत में हज़रत सैय्यदना (रह.) की दरगाह पर सफलता और दया का दरिया बहता है और यह दरगाह आपसी भाईचारे और मोहब्बत की एक बहुत खूबसूरत मिसाल है, जहां हर मज़हब को मानने वाले एक साथ प्रार्थना करते हैं।हज़रत सैय्यदना (रह.) की दया से लाखों अनुयायी उपस्थित हो कर लाभान्वित होते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं।